Lok Sabha Elections के पहले, चुनाव आयुक्त Arun Goyal ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति ने किया मंजूर (2024)

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By uphelp
Lok Sabha Elections Arun Goyal

Lok Sabha Elections Arun Goyal : एक खबर। कुछ समय पहले हमने यहां पर ब्रेक की थी। आपकी स्क्रीन पर एक बड़ी खबर आ रही है। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया। लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले पद छोड़ा। अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। इस्तीफे की वजह अभी साफ नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमारे सहयोगी पीयूष पांडे हमारे साथ है। पीयूष एका एक डिसिशन। क्या वजह?

देखिए अभी तक कोई जो वजह है वह सामने नहीं आई है। कारण अपरिहार्य बताए जा रहे हैं। मसला यह है कि जब इनकी नियुक्ति हुई थी, तब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। एडीआर ने एक पिटीशन फाइल की थी। हालांकि उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इनकी नियुक्ति के खिलाफ जो पिटीशन फाइल हुई थी, वो खारिज भी कर दी थी।

पिछले साल अगस्त में ही। लेकिन यह अचानक से ही इस्तीफे की पेशकश उनकी ओर से की गई और उसके बाद राष्ट्रपति द्वारा इस इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया। यह सबसे बड़ी अहम बात है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा बिल्कुल करीब है।

यह माना जा रहा था कि 10 से 15 मार्च के बीच में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी। पूरे कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी। ऐसी स्थिति में अचानक चुनाव आयुक्त का इस्तीफा दिया जाना बहुत ही अचंभित करने वाला है। अब सिर्फ चुनाव आयोग की पूरी पीठ होती है। उसमें तीन सदस्य होते हैं,

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लेकिन अब सिर्फ राजीव कुमार जो मुख्य चुनाव आयुक्त हैं वह हैं क्योंकि इससे पहले जो अनूप चंद्र पांडे जी थे, जो चुनाव आयुक्त थे, उनका कार्यकाल पूरा हो गया था और अभी फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं हुई थी। तो ऐसी स्थिति में जबकि लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है तो जाहिर सी बात है कि जो बहुत कम है।

अब जाहिर तौर पर वह मशीनरी ऐसी है कि उसमें कोई किसी के आने जाने से फर्क नहीं पड़ेगा। माइक्रो लेवल पर। लेकिन इनका स्तीफा देने की टाइमिंग जो है क्या यह सवालों के घेरे में नहीं आ सकती है?

Lok Sabha Elections Arun Goyal बिल्कुल सवालों के घेरे में है। सभी लोग चकित हैं।

खासतौर पर मेरी जो कई चुनाव आयोग के अधिकारियों से बातचीत हुई, वह भी अचंभित हैं कि आखिर यह इस्तीफा अचानक पेशकश क्यों की गई? और सबसे बड़ी बात है कि राष्ट्रपति की ओर से इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है।

लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा में रहे और कई मंत्रालयों में सचिव के पद पर रहे और अब जबकि चुनाव आयुक्त के रूप में अपनी लगातार सेवाएं दे रहे थे, पिछले साल नियुक्ति के बाद से और तब इस्तीफा नहीं दिया। जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था और इस मामले में नोटिस भी हुआ था। हालांकि जवाब दाखिल करने के बाद सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के बाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से जो याचिका को खारिज कर दिया था।

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लेकिन एक और चीज है।

मैं आपसे जानना चाह रहा हूं। क्या यह बात सही नहीं है कि अरुण गोयल जो थे वह मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे? क्योंकि राजीव कुमार जो अभी हैं वह फरवरी दो हज़ार 25 में रिटायर होने वाले थे।

जी बिल्कुल देखिए। इसमें सीनियोरिटी लेवल के बेसिस पर और दूसरा जो इशू होता है कि आपका टेन्योर कितना है। क्योंकि अनूप चंद्र पांडे जी का कार्यकाल खत्म हो गया था और राजीव कुमार जी अभी मौजूदा समय मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और ऐसी स्थिति में जो इस्तीफा दिया गया है, चुनाव आयोग की ओर से उसने 30 में यानी कि चुनाव आयोग की जो पीठ होती है, उसमें अब सिर्फ एक ही सदस्य बचे हैं जो मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।

देखना यह होगा कि लोकसभा चुनाव की घोषणा पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है या नहीं कि चुनाव आयोग कहीं घोषणा में थोड़ी बहुत देरी तो नहीं करता। क्योंकि अगर तीन चार दिन की भी देरी होती है तो जाहिर सी बात है कि जो कार्यक्रम होगा वह आगे जाकर के यानी कि 30 32 दिन देने होते हैं। जो चुनाव आयोग को, लोकसभा कार्यक्रम के जो राजनीतिक दलों को खासतौर पर चुनाव की तैयारियों के लिए उसमें भी कहीं न कहीं थोड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

जबकि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की ओर से इस्तीफा दिया गया है। अहम बात यह है कि यह समय जो है, वह लोकसभा चुनाव के बिल्कुल करीब है। घोषणा होने वाली थी ऐसी स्थिति में चुनाव आयुक्त का अचानक इस्तीफा।

Lok Sabha Elections के पहले, चुनाव आयुक्त Arun Goyal ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति ने किया मंजूर

मेरे साथ बने रहिए। अगर इनकी बात की जाए। 1985 के पंजाब कैडर के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं। दो हज़ार 27 तक का इनका टेन्योर है। टेन्योर था। अब इन्होंने रिजाइन कर दिया है। अमोद हमारे साथ जुड़ चुके हैं। जी क्या डेटा रहा इस खबर पर क्या जानकारी आ रही है? हर कोई हैरान। इस खबर को सुनकर।

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निश्चित तौर पर देखिए।

यह अपने आप में एक शॉकिंग खबर जरूर सबके लिए है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के घोषणा के महज चंद दिनों पहले अगर इस तरह की खबर आ रही है तो इस हैरानी वाली खबर है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से इस पर कोई भी प्रतिक्रिया या कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। हां, यह जरूर है कि अरुण गोयल को मुक्त कर दिया गया है, लेकिन उसके कारण क्या है और आगे क्या? क्या इसमें ठोस एक्शन होगा?

जानकारी मिल रही है कि अब सरकार को जहां पहले एक चुनाव आयुक्त नियुक्त करना था, अब दो चुनाव आयुक्त नियुक्त करने होंगे तो यह अभी एक फॉर्मल जानकारी है। लेकिन इसके पीछे की कहानी क्या है? चुनाव आयोग के इस्तीफे की यह जानकारी अभी नहीं मिल पा रही है। सरकार की तरफ से सभी लोगों ने अभी चुप्पी साध रखी है। इस पूरे मुद्दे पर।

आप जो बता रहे हैं और यह एसएस पीयूष का यहां पर रिएक्शन लेना चाहूंगा। पीयूष इनका अपॉइंटमेंट भी इसी के तौर पर काफी कॉन्ट्रोवर्शियल था क्योंकि मुझे याद है जो हमारे पास जानकारी है उसके मुताबिक ये सेक्रेटरी थे यूनियन हेवी इंडस्ट्री में और फिर उन्होंने वीआरएस लिया था।

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बिल्कुल। इनका जो अप्वाइंटमेंट था उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती इसी वजह से दी गई थी कि अचानक वीआरएस लिया और फिर इनकी नियुक्ति अचानक हो गई। जबकि एक मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था और जब ये नियुक्ति हुई तब सुप्रीम कोर्ट में एडीआर की ओर से एक पिटिशन इनकी नियुक्ति के खिलाफ दाखिल की गई।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति से संबंधित सारे दस्तावेज देखने और बारीकी से सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद उस याचिका को अगस्त 2 हज़ार 23 में यानी कि पिछले साल खारिज कर दिया था। अब मसला यह है कि सारी स्थितियां अब अनुकूल थी और जो चुनाव आयोग की पीठ में सिर्फ एक सदस्य जो अनूप चंद्र पांडे पांडे अभी हाल ही में रिटायर हुए थे,

उसके बाद एक नियुक्ति होनी थी।

लेकिन अचानक जबकि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा दिया गया तो अब सीधे तौर पर सिर्फ चुनाव आयोग की पीठ में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं और दो अन्य सदस्य जो होते हैं वो नहीं हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को दो नियुक्तियां करनी होंगी। लेकिन देखना यह होगा कि लोकसभा चुनाव बहुत करीब हैं क्योंकि उनकी घोषणा होनी है और वह घोषणा सबसे करीब है। माना यह जा रहा था कि 10 से 15 मार्च के बीच में यह घोषणा हो जाएगी। लेकिन ऐसा ऐसी स्थिति सामने आई है कि अब देखना यह होगा।

कि सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि चुनावी तैयारियों के लिए कई राज्यों के दौरे पर थे। वह मुख्य निर्वाचन आयोग के साथ साथ और एका एक फैसला लिया। यह अपने आप में हैरान करने वाला है कि हुआ क्या एकदम से।

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