Elections 2024 यू हेड सेड इन स्पीच दैट शुड बी नो हेट स्पीच शुड बी कैलिब्रेटेड अप्रोच टू एम।सी। कोड वायलेशन बट रबिन फेडरल कम्प्लेन अगेंस्ट प्राइममिनिस्टर एंड अमित शाह बट ईसीए हैज नॉट टेकन एक्शन एगेंस्ट यू हैव टेकन एक्शन एगेंस्ट ऑपोजिशन लीडर्स इन इफ यू टेक कैलिब्रेटेड अप्रोच सो वॉन्ट टू बी द ऑपोजिशन लीडर्स गेट पिक अप मोर फूल गेट नोटिस फ्रॉम यू मोर दैन द रूलिंग पार्टी लीडर्स।
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थर्ड एवरी एलेक्शन यू गेटिंग न्यू एक्सपीरियंस रिकार्डिंग कंट्रोल ऑफ मानी पावर हाउस यू गोइंग टू कंट्रोल द मानी पव्वा पर एग्जाम्पल लास्ट इलेक्शन टू टीन। आज वेल्लूर, कांची यूएनसी द कैंडिडेट कदीर आनंद फ्रॉम हिज प्लेस क्रॉस क्लोज रुपीस मनी बिन रिक्वायर्ड फ्रॉम ये बहुत एक्शन टेकन एगेंस्ट कीप इस गोइंग टू बी द फ्यूचर कैंडिडेट फ्रॉम द सेम काउंसिल सी।
2024 का चुनाव शुरू
लाइक टू की जो आपने बताया कि 3500 करोड़ रुपए को सीज किया, उसके बाद कार्रवाई। कितने लोग जेल गए, कौन कौन सी पॉलिटिकल पार्टीज इन्वॉल्व थी और जो लीकर सीज किया गया, उस पर कितने केस रजिस्टर हुए, उसकी डिटेल इलेक्शन कमीशन हमारे साथ कभी शेयर करता नहीं है। आफ्टर द इलेक्शन हैपन।
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झूठ के बाजार में रौनक तो बहुत है, गोया बुलबुले जैसी तुरंत ही फट जाती है। पकड़ भी लोगे तो क्या हासिल होगा, सिवाय धोखे के। नमस्कार, मैं रवीश कुमार। लेवल प्लेइंग फील्ड लेवल प्लेइंग फील्ड। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कई बार इस शब्द को दोहराया जिसका मतलब यही हुआ कि सबके साथ बराबरी और सबको समान अवसर मिले। लेकिन क्या दो हज़ार 24 का चुनाव वाकई लेवल प्लेइंग फील्ड का चुनाव होगा?
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19 अप्रैल से 1 जून तक आपको इस बराबरी की हकीकत दिख जाएगी। चुनाव आयोग अपनी तैयारियों में बराबरी दिखा सकता है, मगर चुनावी वातावरण में इस बार अभूतपूर्व रूप से गैर बराबरी दिखने जा रही है। हजारों करोड़ के चंदे से लैस बीजेपी, एक नेता के प्रति समर्पित मीडिया, हजारों पत्रकार, उसके मालिक और संपादकों के रहते विपक्ष के लिए दिखाई देना इस चुनाव में सबसे मुश्किल हो जाएगा। उसके मुद्दों के सामने मीडिया दीवार बनकर खड़ा हो जाएगा। जब तक आप शिकायत करेंगे, जब तक एक्शन होगा, चुनाव निकल जाएगा। 543 लोकसभा क्षेत्र। 97 करोड़ मतदाता।
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साढ़े 10 लाख मतदान केंद्र और सात चरण। दो हज़ार 24 का लोकसभा चुनाव आज से शुरू होता है। आचार संहिता लागू हो चुकी है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। 4 जून को वोटों की गिनती होगी। यानी नतीजे 4 जून को आएंगे। 6 जून से पहले चुनाव को पूरा होना है। पहला चरण 19 अप्रैल, दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा चरण 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां चरण 20 मई, छठा चरण 25 मई और सातवां चरण 1 जून को होगा।
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उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सात चरणों में मतदान कराए जाएंगे। कश्मीर और महाराष्ट्र में पांच चरणों में चुनाव होंगे। ओडिशा, मध्यप्रदेश और झारखंड में चुनाव चार चरणों में होंगे। दो राज्य छत्तीसगढ़ और असम में तीन चरणों में मतदान होगा। कर्नाटका, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में दो चरणों में मतदान होगा। 22 राज्यों में चुनाव एक ही चरण में होगा। पंजाब और हरियाणा में चुनाव सबसे आखिर में होगा। मणिपुर के एक लोकसभा क्षेत्र में दो बार मतदान होने जा रहा है। 20 मार्च से 28 मार्च के बीच नामांकन की प्रक्रिया पूरी होगी।
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सात चरणों में मतदान करवाया है। बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हिंदुस्तान है। अपोजिशन पार्टियां जो है यह आरोप लगा रही है कि सात चरणों में क्या जरूरत है और इसकी वजह से सत्ताधारी दल को फायदा होता है। एक बार कभी पूरी कंट्री का भौगोलिक और ज्योग्राफिक इतिहास और ज्योग्राफिक स्थिति को नजर डालकर देखिए।
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नदी, नाले। बरफ। पहाड़। जंगल। गर्मी। सिक्युरिटी फोर्सेस का मूवमेंट। कभी सोचकर देखिए। दिल भी मूविंग लाइक विदिन, थ्री टू फोर डेज, बिटवीन द गैप इन द फेसेस, डेविल मूव, डेविल वॉक लेंथ एंड ब्रेड ऑफ द कंट्री। उनके ऊपर प्रेशर कभी देखिए कितना होता होगा कभी। इलेक्शन मशीनरी की पूरी की पूरी प्रोसेस, कभी एग्जाम्स, कभी फेस्टिवल्स, होली, रमजान, रामनवमी। पता नहीं क्या क्या। फेस्टिवल सिर्फ बीच में है। जब कलेंडर पर हम लेकर बैठते हैं तो एक डेट फिक्स करते हैं,
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दूसरे में चली जाती है, दूसरी फिक्स करते हैं। कहीं प्रॉब्लम आ जाती है। हम किसी को फेवर करने के लिए, किसी को नुकसान करने के लिए कोई भी एक्शन नहीं लेते। कोई भी एक्शन नहीं लेते। किसी को ऐसा भ्रम है तो वह गलत है। हम फैक्ट्स पर बात कर सकते हैं, जहां कि जो मैंने कहा था। हर राज्य अपने आप में अलग अलग है। किसी राज्य में एक मां भी है किसी राज्य में। साथ में भी। जिन राज्यों में साथ में हैं, वहां का विस्तार बहुत बड़ा है। नंबर ऑफ पार्लियामेंट्री कांस्टीट्यूशन बड़ी है।
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दिल्ली के विज्ञान भवन में चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सारी जानकारियां दी गई। ये सभी जानकारियां आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल खूब उठे। कुछ के पूरे जवाब मिले तो कुछ के आधे और कुछ के जवाब संतोषजनक नहीं थे। कुछ के जवाब नहीं मिल सके। ऐसा इसलिए भी हो जाता है कि आप एक साथ जब चार सवाल लेते हैं, तब हर सवाल को अलग से समय नहीं मिलता और कई बार पूरा जवाब नहीं मिल पाता है।
एश्ले आई यू।
मगर विज्ञान भवन में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस भव्यता के बीच पत्रकारों के उठते सवालों से पता चल रहा था कि चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर किस किस तरह की चिंताएं हैं। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे और असहमति को लेकर सवाल उठे तो जवाब मिला कि असहमति रहती है और असहमति चुनाव आयोग के काम के लिए जरूरी है। किस कारण से इस्तीफा दिया, इस पर जवाब नहीं मिला।
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चुनाव आयुक्त ने कहा कि उनके निजी कारणों का सम्मान किया जाना चाहिए। पत्रकारों ने यह भी पूछा कि चुनावों के दौरान जो पैसे जब्त होते हैं, बाद में उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, यह कभी नहीं बताया जाता है। वेल्लोर का उदाहरण दिया गया कि जिस उम्मीदवार ने पैसे बांटे, करोड़ों रुपये जब्त हुए, वह फिर इस बार चुनाव लड़ सकता है, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीएमके के नेता के पास ₹11 करोड़ मिले थे। दो हज़ार 19 में वेल्लोर में पैसा बांटने के कारण चुनाव रद्द हो गया।
यह भारत में पहली बार हुआ। सवाल उठा कि जम्मू कश्मीर में लोक सभा के साथ विधान सभा के चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं। सात चरणों में चुनाव को लेकर भी पत्रकारों ने सवाल पूछे कि क्या ऐसा है कि सत्ताधारी दल के फायदे के लिए किया जाता है। यह भी पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ जब भी आचार संहिता के उल्लंघन के मामले आते हैं, आयोग कार्रवाई नहीं करता है।
मगर विपक्ष के नेताओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करता है। सवाल यह भी उठा कि हेट स्पीच के मामले में चेतावनी जारी होती है, मगर कार्रवाई नहीं होती। आचार संहिता को लेकर विपक्ष आरोप लगाता है कि मोरल कोड ऑफ कंडक्ट की जगह मोदी कोड ऑफ कंडक्ट हो जाता है।
उनका भी एक ले लीजिए, एक ले लीजिए उनका यू।
हेट स्पीच दैट देर। द शुड बी नो हेट स्पीच शुड बी कैलिब्रेटेड अप्रोच टु एमसी कोर्ट वायलेशन, बट द रबिन। फेडरल कम्प्लेन अगेंस्ट प्राइममिनिस्टर एंड अमित शाह ऑफ द ईसीए हैज नॉट टेकन एक्शन अगेंस्ट यू हैव टेकन एक्शन अगेन्स्ट ऑपोजिशन लीडर्स इन इफ यू टेक कैलिब्रेटेड अप्रोच सो वॉन्ट टू बी द ऑपोजिशन लीडर्स गेट पिक अप मोर फूल गेट नोटिस फ्रॉम यू मोर दैन द रूलिंग पार्टी लीडर्स।
प्रश्न पूछा जिसमें आप यह पूछना चाह रहे हैं कि हम बायस होकर किसी के खिलाफ एक्शन लेते हैं, किसी के खिलाफ नहीं लिखते? यही प्रश्न बेसिकली पूछना चाहिए। पूछना नहीं चाह रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं, जिसका मुझे जवाब आपको देना चाहिए। करेक्ट वेरी राइट। यू अवे क्वेश्चन राइट टु आस्क। आप पिछले आठ 10, 11 इलेक्शंस की। सारे आरोप जितने हमारे पास आए हैं,
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वह सबको एक बार पढ़िए। सबको पढ़ने के बाद। सबके नोटिस देखिए। जो हमने दिए हैं, उसमें जहां जहां कोई भी वॉयलेशन स्टेब्लिश होता हो, उस नोटिस के बाद जवाब आने के बाद भी हमने ऐसा नहीं समय कार्यवाही की है। वी वेरी सैड, देयर काइंड मोरल सेंसर विच वी हैव इन द बिगनिंग शूट। और जिस किसी के भी खिलाफ में अगर कहीं भी कोई केस बनेगा हाउस तो एवर हाई स्टार कैंपेनर ही और शी में भी। वी विल नॉट सेटबैक, वी विल टेक एक्शन।
भाषणों के स्तर को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने बहुत जोर दिया, लेकिन कौन कितना पालन करता है, यह आपको कल से ही दिख जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को गाइडलाइन दी गई है और उनसे कहा गया है कि इसकी कॉपी अपने सभी स्टार प्रचारक को दे दें ताकि वे बोलते समय इसका खयाल रखें कि क्या नहीं बोलना है ताकि उन्हें यह कहने का कभी मौका न मिले कि गाइडलाइन की जानकारी नहीं थी।
चुनावी प्रक्रिया का पॉलिटिकल डिस्कोर्स का घटता हुआ स्तर। जिसमें एसबी कॉलेज से प्लम्बिंग लेविल ऑफ दि पॉलीटिकल डिस्कोर्स। अगर। हमने सब।
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